जब मदीने की फ़ज़ा में बेकरार आ जायेगा
तब नसीमे फैज़ से दिल को क़रार आ जायेगा
जब निगाहों के करीब उनका मज़ार आ जायेगा
जुर्म की बख़्शिश का दिल में एतबार आ जायेगा
ग़मज़दा आ जायेगा लेकर ग़मों की दास्ताँ
ग़मज़ादों के वास्ते फिर ग़मगुसार आ जायेगा
वो ना दामन को हवा देगा किसी देहलीज़ पर
जो दरे-दौलत पे उनके एक बार आ जायेगा
सब हमारे सर से लेंगे दामने बख्शिश समेट
फिर तेरे दामन पे सब दार-ओ-मदार आ जायेगा
और किसे अपनी पुकारों से ग़रज़ होगी वहां
इक वही तो है जो हो के बेकरार आ जायेगा
हश्र में छट जायेंगे उस वक़्त बादल खौफ के
जिस घड़ी मैदां में मदनी ताजदार आ जायेगा
अपने सजदों की खतायें बख्श दी जाएँगी सब
हालते सजदा में जब वो अश्कबार आ जायेगा
सब के सर कोहे मिहन होंगे नज़र तुझ पर शहा
एक जाने-बे-खता पे कितना बार आ जायेगा
किसका मुंह देखेगा नज्दी सोचिये फिर हश्र में
जब उन्ही के हाथ में सब इख़्तियार आ जायेगा
हम अगर जो नाम लें अहमद रज़ा का आज भी
नज्द की दुन्या में तूफां ज़ोर दार आ जायेगा
या इलाही बख्श दे "सय्यिद" को रोज़े हश्र तू
कब इसे अपनी खताओं का शुमार आ जायेगा
तब नसीमे फैज़ से दिल को क़रार आ जायेगा
जब निगाहों के करीब उनका मज़ार आ जायेगा
जुर्म की बख़्शिश का दिल में एतबार आ जायेगा
ग़मज़दा आ जायेगा लेकर ग़मों की दास्ताँ
ग़मज़ादों के वास्ते फिर ग़मगुसार आ जायेगा
वो ना दामन को हवा देगा किसी देहलीज़ पर
जो दरे-दौलत पे उनके एक बार आ जायेगा
सब हमारे सर से लेंगे दामने बख्शिश समेट
फिर तेरे दामन पे सब दार-ओ-मदार आ जायेगा
और किसे अपनी पुकारों से ग़रज़ होगी वहां
इक वही तो है जो हो के बेकरार आ जायेगा
हश्र में छट जायेंगे उस वक़्त बादल खौफ के
जिस घड़ी मैदां में मदनी ताजदार आ जायेगा
अपने सजदों की खतायें बख्श दी जाएँगी सब
हालते सजदा में जब वो अश्कबार आ जायेगा
सब के सर कोहे मिहन होंगे नज़र तुझ पर शहा
एक जाने-बे-खता पे कितना बार आ जायेगा
किसका मुंह देखेगा नज्दी सोचिये फिर हश्र में
जब उन्ही के हाथ में सब इख़्तियार आ जायेगा
हम अगर जो नाम लें अहमद रज़ा का आज भी
नज्द की दुन्या में तूफां ज़ोर दार आ जायेगा
या इलाही बख्श दे "सय्यिद" को रोज़े हश्र तू
कब इसे अपनी खताओं का शुमार आ जायेगा
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